सुधीर पाल, जो फतेहपुर जिले
के मलवा थाना अंतर्गत बाबा का पुरवा गाँव का निवासी है, के भाई अजीत पाल ने मलवा
थाना के पास "लक्ष्मी फुटवियर" नामक एक जूते-चप्पल की दुकान चलाई थी। अजीत पाल का
एक परिचित पूती, जो गाजीखेड़ा निवासी था, ने अपनी दुकान बंद कर दी और लगभग 2 से 2.5
लाख रुपये का माल अजीत को यह कहकर बेच दिया कि वह उसे धीरे-धीरे पैसे वापस कर देगा।
अजीत पाल ने ईमानदारी से काम किया और धीरे-धीरे पूती का पूरा पैसा लौटा दिया। लेकिन
पूती के मन में लालच पैदा हो गया और उसने अजीत से मुनाफे में हिस्सा माँगना शुरू कर
दिया। जब अजीत ने इनकार किया, तो पूती ने उसे धमकी देनी शुरू कर दी। 16 तारीख को
शाम करीब 7:30 बजे, पूती अपने साथियों राजकरण , चंद्रभान और अन्य लोगों के साथ
सुधीर के घर पहुँचा और अजीत पाल से मुनाफे का हिस्सा देने की माँग की। जब सुधीर और
उसके परिवार ने कहा कि वे अजीत से बात करेंगे, तो आरोपियों ने जान से मारने की धमकी
देकर चले गए।
अगले दिन, 17 तारीख को दोपहर करीब 11:40 बजे, राजकरण के मोबाइल नंबर
814673092 से सुधीर के फोन (8956794998) पर कॉल
आया और बताया गया कि अजीत पाल रेवाड़ी चौराहे पर है। जब सुधीर ने
अपने भाई से बात की, तो अजीत ने कहा कि वह जल्द ही दुकान पहुँच जाएगा। लेकिन, दोपहर
12:30 बजे फिर से कॉल आया, जिसमें कहा गया कि वे कानपुर जा रहे हैं। इसके बाद अजीत
पाल का कोई अता-पता नहीं चला। कुछ समय बाद, उसकी लाश मिली। स्पष्ट था कि उसकी हत्या
कर दी गई थी। पुलिस की निष्क्रियता और पीड़ित की पीड़ासुधीर पाल ने तुरंत मलवा थाने
में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उन्हें बार-बार
टाला गया—"पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने का इंतज़ार करो," "बाद में देखेंगे,"
जैसे बहाने बनाए गए। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद भी, पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज
नहीं की और न ही आरोपियों को गिरफ्तार किया।
सुधीर पाल का कहना है—
मैं थाने गया, लिखित शिकायत दी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। मेरा भाई मारा गया, लेकिन हत्यारे खुले घूम रहे हैं। अगर मुझे न्याय नहीं मिला, तो मैं सीधे योगी आदित्यनाथ जी के पास जाऊँगा।
क्यों यह मामला चिंताजनक है?
1. सरेआम धमकियाँ और फिर हत्या – आरोपियों ने खुलेआम धमकी दी, लेकिन पुलिस ने कोई सुरक्षा नहीं दी।2.
पुलिस-अपराधी गठजोड़ का आरोप – पीड़ित का मानना है कि पुलिस ने
जानबूझकर केस दबाने की कोशिश की।
3. न्याय प्रणाली पर अविश्वास –
गरीब पीड़ित को लग रहा है कि उसकी आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं है।
4.
हत्या के बाद भी आरोपियों की धृष्टता – हत्यारे बेखौफ घूम रहे
हैं, जिससे लगता है कि उन्हें किसी की सुरक्षा प्राप्त है।
निष्कर्ष: अब समय आ गया है कार्रवाई का!
यह मामला सिर्फ एक हत्या का केस नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर करता है। अगर ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई नहीं होगी, तो आम जनता का विश्वास पुलिस और कानून से उठ जाएगा।हमारी माँग:
1. तत्काल एफआईआर दर्ज की जाए और आरोपियों को गिरफ्तार किया जाए। 2. मामले की सीबीआई या विशेष जाँच टीम से जाँच हो। 3. पीड़ित परिवार को सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित किया जाए। 4. जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।अंतिम शब्द:
फतेहपुर प्रशासन को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए। अगर न्याय नहीं मिला, तो यह केस यूपी सरकार की कानून-व्यवस्था की छवि को धूमिल करेगा। "न्याय में देरी, न्याय से इनकार है"—और यह इनकार हम किसी भी कीमत पर नहीं होने देंगे! #न्याय_चाहिए_सुधीर_को#फतेहपुर_पुलिस_कार्रवाई_करो
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